श्रीदेवी की राशि वृषभ थीं और इस राशि में अभी शनि ढय्या का योग चल रहा है. शनि की महादशा के कारण ही उनकी अचानक मृत्यु के योग बनें.
बॉलीवुड एक्ट्रेस श्रीदेवी का निधन हो गया, इसके बाद मीडिया से लेकर तमाम लोग उनकी मृत्यु का कारण ढूंढने में लगे हैं. कुछ रिपोर्ट्स ने दावा किया है कि ये एक हादसा था. उन्हें पहले दिल का दौरा पड़ा जिसके कारण वे बाथटब में जा गिरी. ये तो बात हुई रिपोर्ट्स की, लेकिन उनकी मृत्यु का एक कारण ज्योतिषशास्त्र से भी जुड़ा है.
श्रीदेवी की राशि वृषभ थीं और इस राशि में अभी शनि ढय्या का योग चल रहा है. शनि की महादशा के कारण ही उनकी अचानक मृत्यु के योग बनें.
यहां जानिए कुंडली के किन योगों की वजह से किसी व्यक्ति की अचानक मृत्यु हो सकती है.
कुंडली का अष्टम (8) भाव व्यक्ति की उम्र तय करता है और ये भी बताता है कि उसकी मृत्यु कब, कैसे हो सकती है.
अगर किसी की कुंडली के अष्टम भाव का स्वामी द्वादश (12) या षष्ठम (6) भाव में पाप ग्रह से पीड़ित हो तो व्यक्ति अल्पायु होता है.
दशमेश (दशम भाव का स्वामी), अष्टमेश, लग्नेश बलवान हो और इनके साथ शनि का योग न हो तो व्यक्ति लंबी आयु पाता है. इनमें से दो ग्रह शुभ हो तो मध्यम आयु मिलती है. अगर एक ग्रह शुभ हो तो व्यक्ति अल्पायु होता है. अगर तीनों ही ग्रह बली न हो तो व्यक्ति की आयु बहुत ही कम होती है.
कुंडली के द्वादश (12) या षष्ठम (6) भाव पर अगर अष्टमेश यानी अष्टम (8) भाव का स्वामी कमजोर और लग्नेश यानी लग्न (1) भाव के स्वामी के साथ हो तो व्यक्ति कम उम्र में ही मृत्यु को प्राप्त हो सकता है.
कुंडली में अष्टमेश (अष्टम भाव का स्वामी) स्वस्थान में हो तो लंबी आयु मिलती है. लग्नेश और अष्टमेश दोनों छठे भाव में हों या द्वादश हो तो लंबी आयु मिलती है.
कुंडली के दशम, लग्न और अष्टम भाव का स्वामी केंद्र में हो या त्रिकोण या एकादश भाव में हो तो लंबी आयु मिलती है, लेकिन शनि के साथ हो तो आयु कम रहती है
अष्टमेश पाप ग्रह से युति करे, अशुभ भाव में हो तो व्यक्ति अल्पायु होता है. अगर अष्टम भाव का स्वामी शुभ ग्रह से युति करता है, शुभ राशि में हो तो व्यक्ति लंबी उम्र तक जीता है.
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